दुर्ग । दुर्ग जिले के 6 विधानसभा सीटों पर अब कांग्रेस-भाजपा के प्रत्याशियों के नाम तय हो गए है। राजनीति के इस बिसात में दोनो प्रमुख राष्ट्रीय दल के प्रत्याशी एक-दूसरे को टक्कर देने तैयार है। जिले में दूसरे चरण में चुनाव के लिए तिथि निर्धारित की गई है। नामांकन प्रक्रिया 1 दिन बाद याने 21 अक्टूबर से शुरु होगी। 17 नवंबर को मतदान किए जाएंगे। परिणाम 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे। विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा के बाद कांग्रेस ने लंबे इंतजार के बाद बुधवार को 53 उम्मीदवारों की दूसरी सूची घोषित कर दी है। इसमें भिलाई नगर से देवेन्द्र यादव और दुर्ग शहर से अरुण वोरा को दोबारा मैदान में उतारा गया है। 2018 के चुनाव में देवेन्द्र यादव ने भाजपा के प्रेमप्रकाश पांडेय को 2849 मतों और अरुण वोरा ने भाजपा के चंद्रिका चंद्राकर को 21081 मतों से शिकस्त दी थी। इनके अलावा पार्टी ने वैशाली नगर और अहिवारा सीट से नए चेहरों को मौका दिया है। वैशाली नगर से कांग्रेस जिलाध्यक्ष मुकेश चंद्राकर और अहिवारा से भिलाई-3 के महापौैर निर्मल कोसरे पर विश्वास जताया है। पिछले चुनाव में वैशाली नगर सीट भाजपा के विद्यारतन भसीन और अहिवारा सीट पर कांग्रेस के गुरु रुद्र कुमार जीते थे। इससे पहले कांग्रेस पाटन सीट से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और दुर्ग ग्रामीण से गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू को मैदान में उतार चुकी है। पाटन प्रदेश की सबसे हॉट सीट मानी जा रही है। यहां भूपेश का मुकाबला अपने भतीजे भाजपा के विजय बघेल से होगा। वहीं दुर्ग ग्रामीण में ताम्रध्वज साहू का भाजपा के युवा चेहरे ललित चंद्राकर से मुकाबला होगा। भाजपा प्रत्याशी ललित चंद्राकर दुर्ग ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक कार्यक्रमोंं के अलावा खेल एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से काफी सक्रिय रहे है। वे युवाओं के बीच लोकप्रिय बने हुए है। जिले के पूरे छ: विधानसभा सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों की घोषणा के बाद तमाम चर्चाओं पर विराम लग गया है। सबसे ज्यादा निगाहें वैशाली नगर सीट पर थी। वैशाली नगर में दावेदारों की फेहरिस्त लंबी थी, वहीं भिलाई नगर को लेकर वायरल सूचियों ने चुनावी माहौल को गरमा दिया था।
दुर्ग शहर प्रत्याशी
अरुण वोरा
दिग्गज राजनीतिक परिवार से ताल्लूक रखने वाले अरुण वोरा पहली बार 1990 में दुर्ग कांग्रेस के शहर अध्यक्ष बने। वर्ष 1993 में उन्हें दुर्ग शहर सीट से मौका मिला और वे चुनाव जीते। इसके बाद 1998, 2003 व 2008 के विधानसभा चुनावों में उन्हें लगातार तीन बार हार का मुंह देखना पड़ा। बावजूद वे जनता के बीच सतत सक्रिय रहे। परिणामस्वरुप वे वर्ष 2013 से लगातार दो बार चुनाव में जीत दर्ज करते आ रहे है। जनकार्यों को लेकर उनकी सक्रियता पर कांग्रेस पार्टी ने पुन: मुहर लगाई है और उन्हें इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बनाया है। इस चुनाव में भाजपा ने गजेन्द्र यादव को मैदान पर उतारा है। टिकट की घोषणा हुए लगभग 10 दिन बीत गए है। बावजूद गजेन्द्र यादव अब तक चुनावी माहौल बनाने में कमजोर नजर आ रहे है।
भिलाई नगर
देवेन्द्र यादव
देवेन्द्र ने राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र राजनीति से की। पहले एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष रहे। इसके बाद युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रहे। वर्ष 2015 में पहली बार कांग्रेस टिकट पर महापौर चुनाव लड़ा। जीत दर्ज की। वर्ष 2018 में महापौर रहते हुए भिलाई नगर विधानसभा सीट से टिकट हासिल करके जीत दर्ज की। अब पार्टी ने दोबारा भरोसा जताया है।
वैशाली नगर
मुकेश चंद्राकर
लंबे समय से कांग्रेस की राजनीति से जुड़े हुए है। उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत चुनाव संचालक के रुप में हुई है। उन्होने तत्कालीन दुर्ग लोकसभा कांग्रेस उम्मीदवार प्रतिमा चंद्राकर के चुनाव का संचालन किया। वर्ष 2013 व 2018 में काम किया। इसके बाद प्रदेश में कांग्रेस सरकार के आगमन के बाद वे भिलाई कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने।
अब पार्टी ने उन्हें पहली बार टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है। उन पर मुख्यमंत्री का आशीर्वाद माना जाता है।
अहिवारा
निर्मल कोसरे
एनएसयूआई में प्रवेश कर राजनीतिक करियर की शुरुआत की। वर्ष 2007 से 12 तक ब्लॉक कांग्रेस कमेटी भिलाई-चरोदा का महासचिव बने। वर्ष 2012 से 14 तक दुर्ग जिला कांग्रेस कमेटी अनुसूचित जाति विभाग के जिला महामंत्री रहे। वर्ष 2014-17 तक छग अनुसूचित जाति कांग्रेस के प्रदेश संयोजक रहे। 2020 में दुर्ग ग्रामीण कांग्रेस के अध्यक्ष बने। भिलाई-चरोदा निगम में पार्षद चुनाव जीतने के बाद महापौर चयनित हुए।
अरुण वोरा
दिग्गज राजनीतिक परिवार से ताल्लूक रखने वाले अरुण वोरा पहली बार 1990 में दुर्ग कांग्रेस के शहर अध्यक्ष बने। वर्ष 1993 में उन्हें दुर्ग शहर सीट से मौका मिला और वे चुनाव जीते। इसके बाद 1998, 2003 व 2008 के विधानसभा चुनावों में उन्हें लगातार तीन बार हार का मुंह देखना पड़ा। बावजूद वे जनता के बीच सतत सक्रिय रहे। परिणामस्वरुप वे वर्ष 2013 से लगातार दो बार चुनाव में जीत दर्ज करते आ रहे है। जनकार्यों को लेकर उनकी सक्रियता पर कांग्रेस पार्टी ने पुन: मुहर लगाई है और उन्हें इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बनाया है। इस चुनाव में भाजपा ने गजेन्द्र यादव को मैदान पर उतारा है। टिकट की घोषणा हुए लगभग 10 दिन बीत गए है। बावजूद गजेन्द्र यादव अब तक चुनावी माहौल बनाने में कमजोर नजर आ रहे है।
भिलाई नगर
देवेन्द्र यादव
देवेन्द्र ने राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र राजनीति से की। पहले एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष रहे। इसके बाद युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रहे। वर्ष 2015 में पहली बार कांग्रेस टिकट पर महापौर चुनाव लड़ा। जीत दर्ज की। वर्ष 2018 में महापौर रहते हुए भिलाई नगर विधानसभा सीट से टिकट हासिल करके जीत दर्ज की। अब पार्टी ने दोबारा भरोसा जताया है।
वैशाली नगर
मुकेश चंद्राकर
लंबे समय से कांग्रेस की राजनीति से जुड़े हुए है। उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत चुनाव संचालक के रुप में हुई है। उन्होने तत्कालीन दुर्ग लोकसभा कांग्रेस उम्मीदवार प्रतिमा चंद्राकर के चुनाव का संचालन किया। वर्ष 2013 व 2018 में काम किया। इसके बाद प्रदेश में कांग्रेस सरकार के आगमन के बाद वे भिलाई कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने।
अब पार्टी ने उन्हें पहली बार टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है। उन पर मुख्यमंत्री का आशीर्वाद माना जाता है।
अहिवारा
निर्मल कोसरे
एनएसयूआई में प्रवेश कर राजनीतिक करियर की शुरुआत की। वर्ष 2007 से 12 तक ब्लॉक कांग्रेस कमेटी भिलाई-चरोदा का महासचिव बने। वर्ष 2012 से 14 तक दुर्ग जिला कांग्रेस कमेटी अनुसूचित जाति विभाग के जिला महामंत्री रहे। वर्ष 2014-17 तक छग अनुसूचित जाति कांग्रेस के प्रदेश संयोजक रहे। 2020 में दुर्ग ग्रामीण कांग्रेस के अध्यक्ष बने। भिलाई-चरोदा निगम में पार्षद चुनाव जीतने के बाद महापौर चयनित हुए।